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Saturday, January 30, 2010

दुख की सत्ता वास्तविक नहीं है, क्योंकि परावर्ती अनुभव से वह खंडित हो जाती है। जागने पर जैसे स्वप्न अवास्तविक हो जाता है, वैसे ही स्व-बोध पर दुख खो जाता है।
आनंद सत्य है, क्योंकि वह स्व है।
- ओशो

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very nice