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Wednesday, August 11, 2010

गाँवो में राजनीती .....

आज कल राजनीति छोटे गाँव से लेकर दिल्ही तक फेल चुकी हे,गाँवो में जाता हु तब देखकर बहोत बुरा लगता हे की एक माँ के दो बच्चे राजनीती के कारन एक दुसरे की खीचतान करते हे,इतना ही नहीं गन्दी राजनीती सिर्फ दिल्ही में ही नहीं देश के छोटे से छोटे गाँव की गली तक खेली जा रही हे,इतना ही नहीं दुःख तो तब होता हे की गाँवो में राजनीती जब हावी होती हे तो वो सब्दो से नहीं बल्कि हथियार से लड़ी जाती हे ,(दिल्ही में तो कमसे कम सब्दो से लड़ी जाती ह)और कम पढ़े लिखे गाववाले इनका शिकार होते हे,आज से पाच साल पहेले मेने वही गाव की सेर कीथी तब सब एक होने का एहसास होता था मगर आज राजनीती ने उन लोगो को इतना खोखला बना दिया की सालों से साथ काम करते वो गाँव वाले आज ,यह तो भाजप का हे ,और यह कांग्रेश और वो उस पार्टी का आदमी हे जेसे लेबल लगा दिए हे और वो भी खुद उसी गाँव वालो ने....गाँव में एक अच्छा काम करने के लिए एकजुट भी नहीं हो पा रहे ये लोग ,और एसा नहीं हे की भारत का ये एक ही गाँव जिसमे राजनीती हावी हे ,अब तो ये मुस्किल हो गई हे की बिना राजनीती का गाँव ढूँढना मुस्किल हो गया he,क्या हाल बना दिया हे राजनीती ने इन भोले भाले गाँव वालो का,ये सोचकर बहोत दुःख हुआ....और गुलाम देश में जिस तरह अँगरेज ने विभाजन वाली निति अख्तियार कीथी उसी तरह आज फिर देश में राजनीती पार्टी या अपनी रोटीया पका रह ही हे.और भोले भाले गाँव वाले उसका शिकार बन रहे हे..(सब्दो में कुछ भूल हो तो ठीक से पढने की बिनती )......

Sunday, August 8, 2010

जिदगी

कल जिन्दगी का आखरी दिन हे एसा सोचकर जीने वाला दुसरो का ज्यादा बुरा नहीं करेगा ,तो क्यों न इसे ही जिए......