Life is a sexually transmitted disease and the mortality rate is one hundred percent.
R. D. Laing
Life's a bitch and then you die.
Nas (Nasir Jones)
Get social and current affairs and deep analysis with me from the bottom of my heart...as a Editor of Vtv news channel and passionate with helping people about their key issues, I always prefer to highlight the major issues which can bring fruitful results in the favor of People. I consider love and respect of peoples as my Awards for lifetime. I am Here for the People, To the People and always stand by your side.
Sunday, January 31, 2010
Abraham Lincoln:-And in the end, it's not the years in your life that count. It's the life in your years.
Adrienne Rich:-Life on the planet is born of woman.
Agatha Christie:-I like living. I have sometimes been wildly, despairingly, acutely miserable, racked with sorrow, but through it all I still know quite certainly that just to be alive is a grand thing.
Alan Benn-Life is rather like a tin of sardines - we're all of us looking for the key.
Adrienne Rich:-Life on the planet is born of woman.
Agatha Christie:-I like living. I have sometimes been wildly, despairingly, acutely miserable, racked with sorrow, but through it all I still know quite certainly that just to be alive is a grand thing.
Alan Benn-Life is rather like a tin of sardines - we're all of us looking for the key.
मनुष्य के कृत्यों को देखों! तीन हजार वर्षों में पाँच हजार युद्ध आदमी ने लड़े हैं। उसकी पूरी कहानी हत्याओं की कहानी है, लोगों को जिंदा जला देने की कहानी है- और एक को नहीं, हजारों को। और यह कहानी खत्म नहीं हो गई है। क्या तुम सोचते हो आदमी बंदर से विकसित हो गया है? किसी बंदर ने अब तक किसी दूसरे बंदर को जिंदा तो नहीं जलाया।। कोई बंदर न तो हिंदू है, न मुसलमान है, न ईसाई है; बंदर सिर्फ बंदर है।-osho
सेक्स थकान लाता है। इसीलिए मैं तुमसे कहता हूँ कि इसकी अवहेलना मत करो, जब तक तुम इसके पागलपन को नहीं जान लेते, तुम इससे छुटकारा नहीं पा सकते। जब तक तुम इसकी व्यर्थता को नहीं पहचान लेते तब तक बदलाव असंभव है।
यह अच्छा है कि तुम सेक्स से तंग आते जा रहे हो और वह स्वाभाविक भी है। सेक्स का अर्थ ही यह है कि तुम्हारी ऊर्जा नीचे की ओर बहती जा रही है तुम ऊर्जा गँवा रहे हो। ऊर्जा को ऊपर की ओर जाना चाहिए तब यह तुम्हारा पोषण करती है, तब यह शक्ति लाती है। तुम्हारे भीतर कभी ना थकने वाली ऊर्जा के स्रोत बहने शुरू हो जाते हैं- एस धम्मो सनंतनो। लेकिन यदि लगातार पागलों की तरह सेक्स करते ही चले जाते हो तो यह ऊर्जा का दुरुपयोग होगा। शीघ्र तुम अपने आपको थका हुआ और निरर्थक पाओगे।
मनुष्य कब तक मूर्खताएँ करता चला जा सकता है। एक दिन अवश्य सोचता है कि वह अपने साथ क्या कर रहा है। क्योंकि जीवन में सेक्स से अधिक महत्वपूर्ण और कई चीजें हैं। सेक्स ही सब कुछ नहीं होता। सेक्स सार्थक है परंतु सर्वोपरि नहीं रखा जा सकता। यदि तुम इसी के जाल में फँसे रहे तो तुम जीवन की अन्य सुन्दरताओं से वंचित रह जाओगे। और मैं कोई सेक्स विरोधी नहीं हूँ, इसे याद रखें। इसीलिए मेरी कही बातों में विरोधाभास झलकता है, परंतु सत्य विरोधाभासी ही होता है।-osho
यह अच्छा है कि तुम सेक्स से तंग आते जा रहे हो और वह स्वाभाविक भी है। सेक्स का अर्थ ही यह है कि तुम्हारी ऊर्जा नीचे की ओर बहती जा रही है तुम ऊर्जा गँवा रहे हो। ऊर्जा को ऊपर की ओर जाना चाहिए तब यह तुम्हारा पोषण करती है, तब यह शक्ति लाती है। तुम्हारे भीतर कभी ना थकने वाली ऊर्जा के स्रोत बहने शुरू हो जाते हैं- एस धम्मो सनंतनो। लेकिन यदि लगातार पागलों की तरह सेक्स करते ही चले जाते हो तो यह ऊर्जा का दुरुपयोग होगा। शीघ्र तुम अपने आपको थका हुआ और निरर्थक पाओगे।
मनुष्य कब तक मूर्खताएँ करता चला जा सकता है। एक दिन अवश्य सोचता है कि वह अपने साथ क्या कर रहा है। क्योंकि जीवन में सेक्स से अधिक महत्वपूर्ण और कई चीजें हैं। सेक्स ही सब कुछ नहीं होता। सेक्स सार्थक है परंतु सर्वोपरि नहीं रखा जा सकता। यदि तुम इसी के जाल में फँसे रहे तो तुम जीवन की अन्य सुन्दरताओं से वंचित रह जाओगे। और मैं कोई सेक्स विरोधी नहीं हूँ, इसे याद रखें। इसीलिए मेरी कही बातों में विरोधाभास झलकता है, परंतु सत्य विरोधाभासी ही होता है।-osho
तुम्हारे चरित्र का एक ही अर्थ होता है बस कि स्त्री पुरुष से बँधी रहे, चाहे पुरुष कैसा ही गलत हो। हमारे शास्त्रों में इसकी बड़ी प्रशंसा की गई है कि अगर कोई पत्नी अपने पति को बूढ़े-, मरते, सड़ते, कुष्ठ रोग से गलते पति को भी- कंधे पर रख कर वेश्या के घर पहुँचा दी तो हम कहते हैं- 'यह है चरित्र! देखो, क्या चरित्र है कि मरते पति ने इच्छा जाहिर की कि मुझे वेश्या के घर जाना है और स्त्री इसको कंधे पर रखकर पहुँचा आई।'-osho
अतीत के इतिहास में क्रांतियाँ होती थीं और समाप्त हो जाती थीं। लेकिन आज हम सतत क्रांति में जी रहे हैं। अब क्रांति कभी समाप्त नहीं होगी। पहले क्रांति एक घटना थी, अब क्रांति जीवन है। पहले क्रांति शुरू होती थी और समाप्त होती थी। अब क्रांति शुरू हो गयी और समाप्त नहीं होगी। अब आने वाले भविष्य में मनुष्य को सतत क्रांति और परिर्वन में ही रहना होगा। यह एक इतना बड़ा नया तथ्य है, जिसे स्वीकार करने में समय लगना स्वाभाविक है।-osho
व्यक्ति, जितना बुद्धिमान होगा, उतना स्वयं के ढंग से जीना चाहेगा। सिर्फ बुद्धिहीन व्यक्ति पर ऊपर से थोपे गए नियम प्रतिक्रिया, रिएक्शन पैदा नहीं करेंगे। तो, दुनिया जितनी बुद्धिहीन थी, उतनी ऊपर से थोपे गए नियमों के खिलाफ बगावत न थी। जब दुनिया बुद्धिमान होती चली जा रही है, बगावत शुरू हो गई है। सब तरफ नियम तोड़े जा रहे हैं। मनुष्य का बढ़ता हुआ विवेक स्वतंत्रता चाहता है।-osho
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