सेक्स थकान लाता है। इसीलिए मैं तुमसे कहता हूँ कि इसकी अवहेलना मत करो, जब तक तुम इसके पागलपन को नहीं जान लेते, तुम इससे छुटकारा नहीं पा सकते। जब तक तुम इसकी व्यर्थता को नहीं पहचान लेते तब तक बदलाव असंभव है।
यह अच्छा है कि तुम सेक्स से तंग आते जा रहे हो और वह स्वाभाविक भी है। सेक्स का अर्थ ही यह है कि तुम्हारी ऊर्जा नीचे की ओर बहती जा रही है तुम ऊर्जा गँवा रहे हो। ऊर्जा को ऊपर की ओर जाना चाहिए तब यह तुम्हारा पोषण करती है, तब यह शक्ति लाती है। तुम्हारे भीतर कभी ना थकने वाली ऊर्जा के स्रोत बहने शुरू हो जाते हैं- एस धम्मो सनंतनो। लेकिन यदि लगातार पागलों की तरह सेक्स करते ही चले जाते हो तो यह ऊर्जा का दुरुपयोग होगा। शीघ्र तुम अपने आपको थका हुआ और निरर्थक पाओगे।
मनुष्य कब तक मूर्खताएँ करता चला जा सकता है। एक दिन अवश्य सोचता है कि वह अपने साथ क्या कर रहा है। क्योंकि जीवन में सेक्स से अधिक महत्वपूर्ण और कई चीजें हैं। सेक्स ही सब कुछ नहीं होता। सेक्स सार्थक है परंतु सर्वोपरि नहीं रखा जा सकता। यदि तुम इसी के जाल में फँसे रहे तो तुम जीवन की अन्य सुन्दरताओं से वंचित रह जाओगे। और मैं कोई सेक्स विरोधी नहीं हूँ, इसे याद रखें। इसीलिए मेरी कही बातों में विरोधाभास झलकता है, परंतु सत्य विरोधाभासी ही होता है।-osho
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very nice