गुजरात में पिछले १८ सालो से भाजपा साशन कर रही हे। कांग्रेस के आज के युवा नेता ओ को गुजरात में कांग्रेस की सत्ता की याद भी नहीं अति होगी। ऐसा नहीं हे की गुजरात में कांग्रेस महेनत नहीं कर रही हे। ऐसा भी नहीं हे की भाजपा ने गुजरात में विकाश के चाँद उतार दिए हे। मगर गुजरात में पिछले कई सालो से हिन्दू वादी राजनीती ने अपनी पकड़ जमा ली हे। और हाई कमांड के आदेश के चलते गुजरात के कांग्रेस के नेता ओ अल्पवादी राजनीती को ही अपना कर्म मानकर गुजरात में पार्टी की पकड़ ज़माने में विफल रहे हे। उसका सीधा फायदा भाजपा को मिल रहा हे। भाजपा ने विकाश के नाम पर गुजरात में भ्रष्टाचार को बढ़ाया हे ये खुद भाजपा के ही कही नेता मान रहे हे । और गुजरात की जनता के पास तीसरी अच्छी पार्टी का विकल्प भी तो नही हे. अगर कांग्रेस को गुजरात में सत्ता हासल करनी होगी तो उसको मुद्दो के साथ अपनी अल्पवादी राजनीती को छोड़नी होगी। हलाकि ये करने में कांग्रेस के अपने मूल से भटकने का रास्ता अपनाना होगा . ।मगर सत्ता पाने के लिए बाजपा ने तो जम्मू कश्मीर में अपना मूल छोड़ कर ही सत्ता पाई हे.. देखते हे २०१७ के लिए कोंग्रेश भी वाही रास्ता अपनाती हे की फिर २०२२ तक का फिर एक बार इतंजार करने का मन मनाती हे। अक्षर राजनीती उसीको कहते हे जिसमे ऊसल कम राजिनती ज्यादा होती।