दिल्ही के चुनाव पर पूरी दुनिया की नजर टिकी हुई थी … एक मीडिया कर्मी के तोर पर मेने इस चुनाव को अलग नजरिए से देखा हे। किरण बेदी की एंट्री होते ही कही चैनल्स ने बीजेपी के इसारे सर्वे चलना शुरू कर दिया था। मीडिया वाले के तोर पर हम स्टोरी के पीछे का राज़ बहुत जल्द पकड़ लेते हे. कई हिंदी चैनल्स ने किरण का करिश्मा चलाया . मगर उस करिश्मा के पीछे किसी और बड़े नेता का करिश्मा काम कर रहा था. हमारे शास्त्रो में लिखा हे की अगर आखिर तक सत्य को न छोडो तो सत्य की ही जीत होती हे. जैसे ही मतदान पूर्ण हुआ की अपनी साख बचाने के लिए बीजेपी के गुण गाने वाली चैनल्स एग्जिट पोल में आप की बढ़त दिखाई . नतीजा सामने हे। ये अरविन्द की निष्ठां और सचाई की जीत हे। यूपी ,ज़रखंड ,हरियाणा और महाराष्ट्र में बीजेपी की जीत नहीं हे मगर कोंग्रेश के खिलाफ देश का गुसा था। अगर मोदी साहब अलादीन के चिराग होते तो वो दिल्ही में ही बुज नहीं जाते। क्युकी दिल्ही में कोंग्रेश नहीं मगर एक सचाई और निष्ठां आम आदमी के नाम से चुनाव लड़ रही थी।वाकई देश की राजनीती बदल रही हे। मगर अरविन्द की सच्ची परीक्षा तो अब सुरु हुई हे। अगर वो सचाई और निष्ठां से लोगो की सेवा में काम चालू रखा तो वो दिन दूर नहीं की कांग्रेस की तरह देस बीजेपी मुक्त होना सुरु हो जायेगा। गुजरात में सालो से बीजेपी शाशन कर रही हे। दुनिया को लगता हे की बीजेपी ने गुजरात का विकाश कर दिया ,असल में गुजरात में बारह सालो से सुखा नहीं पड़ा हे। और हिन्दू और मुस्लिम की राजनीती से बीजेपी चुनाव जीतती आई हे. विकाश की बात करे तो गुजरात में एजुकेशन और स्वस्थ्य प्राइवेट लोगो के हाथ में दे कर जनता को राम के भरोशे छोड़ दिया हे। आज एक बच्चे को पढ़ना सालाना ५० हजार खर्च होते हे ,आप अगर बीमार हुए तो यतो आपको हजारो खर्च करना पड़ेगा अन्यथा आप सरकारी अस्पतालों में भेड बकरिया की तरह भर्ती हो जायेंगे और न चाहते हुए भी आप प्राइवेट अस्पताल में दाखिल होंगे। क्या ये गुजरात का विकाश हे ?